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Mera Mujh Mein Kuchh Nahin (मेरा मुझमें कुछ नहीं)

Mera Mujh Mein Kuchh Nahin (मेरा मुझमें कुछ नहीं) in Bloomington, MN

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कबीर ने कहा कि 'ज्यों कि त्यों धर दीन्हीं चदरिया, खूब जतन से ओढ़ी कबीरा।' तो कबीर कहते हैं कि ओढ़ी तो, पर खूब जतन से ओढ़ी। संन्यासी वह है जो ओढ़े ही न। क्योंकि ओढ़ने में डर है, कहीं चदरिया खराब न हो जाए। और गृहस्थ वह है, जो डट कर ओढ़े, चाहे फटे, चाहे गंदी हो, कुछ भी हो जाए। और कबीर ने ओढ़ी--'खूब जतन से ओढ़ी रे चदरिया।' लेकिन जतन से ओढ़ी। यह 'जतन' शब्द बड़ा अदभुत है। कृष्णमूर्ति जिसको 'अवेयरनेस' कहते हैं, वही है जतन। बड़े होश से, बड़े प्रयत्न से, बड़ी जागरूकता से ओढ़ी। और--'ज्यो की त्यों धर दीन्हीं चदरिया।' और जब परमात्मा के पास वापस लौटने लगे, तो उसे वैसी ही लौटा दी, जैसी उसने दी थी--और ओढ़ी भी। ऐसा भी नहीं कि बिना ओढ़े, नंगे बैठे रहे। कबीर यह कह रहे हैं कि गृहस्थ भी रहे और संन्यस्त भी रहे। रहे संसार में और अछूते रहे--कमलवत।-ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुःनीति और धर्म में क्या भेद है?परमात्मा है क्या?सुख से वैराग्य का जनम होता है। क्यों?असहाय अवस्था का अर्थ क्या है?ऊंट किस करवट बैठे--विधायक या निषेधात्मक?ज्ञानी का मार्ग भक्त के मार्ग से क्या सर्वथा भिन्न है? About the Author ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही है
कबीर ने कहा कि 'ज्यों कि त्यों धर दीन्हीं चदरिया, खूब जतन से ओढ़ी कबीरा।' तो कबीर कहते हैं कि ओढ़ी तो, पर खूब जतन से ओढ़ी। संन्यासी वह है जो ओढ़े ही न। क्योंकि ओढ़ने में डर है, कहीं चदरिया खराब न हो जाए। और गृहस्थ वह है, जो डट कर ओढ़े, चाहे फटे, चाहे गंदी हो, कुछ भी हो जाए। और कबीर ने ओढ़ी--'खूब जतन से ओढ़ी रे चदरिया।' लेकिन जतन से ओढ़ी। यह 'जतन' शब्द बड़ा अदभुत है। कृष्णमूर्ति जिसको 'अवेयरनेस' कहते हैं, वही है जतन। बड़े होश से, बड़े प्रयत्न से, बड़ी जागरूकता से ओढ़ी। और--'ज्यो की त्यों धर दीन्हीं चदरिया।' और जब परमात्मा के पास वापस लौटने लगे, तो उसे वैसी ही लौटा दी, जैसी उसने दी थी--और ओढ़ी भी। ऐसा भी नहीं कि बिना ओढ़े, नंगे बैठे रहे। कबीर यह कह रहे हैं कि गृहस्थ भी रहे और संन्यस्त भी रहे। रहे संसार में और अछूते रहे--कमलवत।-ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुःनीति और धर्म में क्या भेद है?परमात्मा है क्या?सुख से वैराग्य का जनम होता है। क्यों?असहाय अवस्था का अर्थ क्या है?ऊंट किस करवट बैठे--विधायक या निषेधात्मक?ज्ञानी का मार्ग भक्त के मार्ग से क्या सर्वथा भिन्न है? About the Author ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही है
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