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KAHANE KO KUCH NAHIN HOTA ( ???? ?? ??? ???? ???? )
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गायत्रीबाला पंडा समा समकालीन भारतीय साहित्य में एक चर्चित स्वर है। इनकी कविताओं में अभिव्यक्त नारीवाद का स्वर विद्रोह का ना होकर आत्मविश्वास का है। इन कविताओं में अद्भुत प्रभाव है। इस काव्य संग्रह की कविताओं में प्रसंग और प्रस्तुतीकरण दोनों क्षेत्र में कवियत्री को परिपक्वता सहज ही देखी जा सकती है। मानवीय चेतना, संवेदनशीलता, नारी के प्रति सामाजिक क्रूरता, अन्याय, अत्याचार, बलात्कार, हैवानियत किसानों की समस्या, आदि के विरुद्ध आवाज उठाने का दूर दुस्साहस इस संग्रह की अनेक कविताओं में दिखाई देता है। संग्रह की हर कविता में आज के समाज और समय की यथार्थ चित्रण मिलता है। सामाजिक सत्य को उपयुक्त शब्द, शैली और कुशलता के से प्रकट करना ही इस संग्रह की विशेषता है। इन कविताओं को पढ़ते समय ऐसा लगता है कि शब्द और विषय-वस्तु के चयन में गायत्रीबाला पूरी तरह सतर्क रहती है।